खाटू श्याम बाबा के ग्यारह नाम || खाटू श्याम बाबा को लखदातार क्यों कहते है?

खाटू श्याम बाबा के ग्यारह नाम जिनके जाप से होते पूरे सब काम

खाटू श्याम बाबा को लखदातार क्यों कहते है ?

खाटू श्याम जी का सबसे प्रसिद्ध प्रसिद्ध खाटू श्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले की खाटू नगरी में स्थित है । खाटू श्याम बाबा को अनेक नामों से जाना जाता है खाटू श्याम जी के ये नाम उनके गुणों के आधार पर प्रसिद्ध हुए हैं और इन नामों से श्याम बाब के जैकारे भी लगाए जाते है और जाप भी किया जाता है तो आइये जानते है खाटू श्याम बाबा के ग्यारह चमत्कारी नाम जिनके जाप करने मात्र से सब काम पूरे होने लगते है । 


कहते है की जो एक बार खाटू श्याम बाबा की शरण में चला जाता है जो एक बार खाटू जाकर उनके दर्शन कर लेता है जो एक बार श्याम बाबा से नजरे मिला लेता है वो श्याम का प्रेमी हो जाता है और उसे बार बार खाटू जाना होता है ऐसा क्यों होता है क्योकि श्याम बाबा के दर पर जो खाटू नगरी में जो भी भक्त श्याम बाबा की चौखट एक बार अपना सर रख देता है उसकी समस्त मनोकामना पूरी हो जाती है जो जिन्दगी में हर जगह से हर तरफ से निराश हो जाता है हार जाता है जिसे लगता है की अब उसका कोई सहारा नहीं बचा है जिसका कोई सहारा नहीं होता है बाबा श्याम उसका सहारा बन जाते है इसीलिए खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है खाटू श्याम बाबा के कई नाम है उनमें से ग्यारह नाम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध सबसे ज्यादा चमत्कारी है और जो भी भक्त सच्चे मन से इन ग्यारह नामों का जाप करता है नियमित रूप से इन नामों स्मरण करता है उसकी समस्त मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है तो आज इस लेख में हम आपको श्याम बाबा के ग्यारह चमत्कारी नामों की जानकारी शेयर करने जा रहे है हो सकता है आपको इसकी जानकारी पहले से ही हो तब भी आपको इसमें कुछ ना कुछ तो नया देखने को मिल ही जाएगा क्योकि आपको इन नामो का अर्थ और ये नाम क्यों हुए की भी जानकारी मिलने वाली है तो आइये शुरू करते है :-

khatu shyam ji ke gyarah chamtkari naam

श्याम बाबा का जन्म का नाम और सबसे पहला नाम है बर्बरीक

महाभारत काल में पांच पांडवों में बलशाली गदाधारी भीम का विवाह हिडिम्बा नाम की राक्षसी से हुआ था भीम और हिडिम्बा से उनके एक पुत्र घटोत्कच हुआ श्री कृष्ण की आज्ञा से घटोत्कच ने नाग कन्या मौरवी से विवाह किया और फिर घटोत्कच और मौरवी की संतान बर्बरीक हुई यही बर्बरीक भगवन कृष्ण के वरदान के कारण कलयुग में खाटू श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए तो श्याम बाबा का सबसे पहला और जन्म का नाम वीर बर्बरीक है ।  

दूसरा नाम है मोर्वी नंदन

बर्बरीक की माता का नाम मौर्वी होने के कारण ये मौर्वी नंदन कहलाये यही कारण है की हम सबके प्यारे श्याम बाबा को मौरवी नंदन भी जाता है लोग जयकारो में भी मोर्वी नंदन की जय हो के जयकारे लगाते है ।

श्याम बाबा का तीसरा सबसे प्रसिद्ध नाम है तीन बाण धारी

महाभारत काल में बर्बरीक ने भगवान् श्री कृष्ण की लीला अनुसार भगवान शिव की कठोर तपस्या की तब शिव ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान स्वरूप तीन अमोक बाण दिए ये तीन बाण ऐसे थे जिससे संपूर्ण ब्रह्माण्ड को जीता जा सकता था लेकिन एक वचन के कारण बर्बरीक हारने वाले का साथ देने वाले थे और श्री कृष्ण भी इस बात को जानते थे की जब कौरव हारने लगेंगे तो बर्बरीक कौरवो की और से युद्ध करेंगे और इन्हें हरा पाना किसी के भी बस की बात नहीं है इसीलिए उन्होंने अजेय वीर बर्बरीक से उनका शीश दान में माग लिया था जिसे बर्बरीक ने हसतें- हसतें अपने ही हाथो से श्री कृष्ण को दान कर दिया और दोस्तों श्याम बाबा के इन्ही अमोक चमत्कारी धारण करने के कारण श्याम बाबा को तीन बाणधारी कहा जाता है कहते है की श्याम बाबा जैसा धनुर्धर न तो दुनिया में पहले हुआ था और न ही आज तक हुआ है। 

चौथा नाम है शीश के दानी

महाभारत का युद्ध चल रहा था और बर्बरीक इस युद्ध में जाना चाहते थे तो जब बर्बरीक अपनी मां से आशिर्वाद लेने पहुंचे तो उनकी माँ ने उनसे वचन लिया की वो उस और लड़ेगा जिस और के योद्धा हार रहे होंगे यानि जिसकी युद्ध में हार हो रही होगी वे उसकी तरफ से युद्ध लड़ेंगे । अब भगवान श्रीकृष्ण तो सब जानते थे वो जानते थे हार तो कौरवों की निश्चित है और यदि ऐसे में बर्बरीक कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ेंगे तो​ फिर उनके तीन बाणों का कोई भी सामना नहीं कर पायेगा स्वयम वो भी इन बाणों को रोक नहीं सकते, ऐसे में उन्होंने बर्बरीक से उनका शीश ही दान में मांग लिया वीर और दानवीर बर्बरीक ने हसतें हुए अपना शीश उन्हें दान कर दिया और बाबा कलयुग में शीश के दानी नाम से प्रसिद्ध हुए । 

पांचवा नाम श्याम बाबा का सबसे प्रिय और प्रसिद्ध नाम है श्याम 

जब भगवन श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में माँगा तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक को शीश दान मांगने की वजह भी बताई उन्होंने कहा कि युद्ध आरम्भ होने से पूर्व युद्धभूमि पूजन के लिए तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश की आहुति देनी होती है और ऐसे वीर हम दो ही है या तो में अपना बलिदान करू या तुम बलिदान करो तब बर्बरीक ने अपना शीश काट कर श्री कृष्ण को अर्पित कर दिया बर्बरीक के इस प्रकार किये गए बलिदान से श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और श्री  कृष्ण भगवान ने इस बलिदान से प्रसन्न होकर बर्बरीक को युद्ध में सर्वश्रेष्ठ वीर की उपाधि से अलंकृत किया और वरदान दिया की कलयुग में लोग उन्हें उनके नाम श्याम नाम से पूजेंगे भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें श्याम नाम के साथ साथ अपनी सारी शक्तियां भी प्रदान की ताकि वो अपने भक्तो की रक्षा और मनोकामना पूर्ण कर सके । 

 अगला नाम है कलियुग के अव​तारी 

भगवान श्रीकृष्ण बर्बरीक को अपना सबसे प्रिय नाम श्याम जो उनकी माता ने दिया था श्याम नाम बर्बरीक को दिया भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को श्याम नाम देने के साथ साथ उन्हें यह भी वरदान दिया कि वे कलियुग में वे घर घर में पूजे जाएंगे जैसे जैसे कलयुग बढेगा उनके भक्त बढ़ेंगे इसलिए उन्हें कलियुग का अवतारी भी कहा जाता है। अभी ​कलियुग चल रहा है और ऐसे में श्याम बाबा भक्तों की आस्था के केंद्र है। हर साल लाखों की संख्या में भक्त बाबा के दरबार में आकर हाजिरी लगाते है और फागुन में खाटू में भरी संख्या में लाखो लोग श्याम मेले में जाते है ।

लीले का अश्वार

श्याम बाबा को लीले का अश्वार कहा जाता है। दरअसल, वीर बर्बरीक के पास नीले रंग का घोड़ा था । नीले रंग को स्थानीय भाषा में लीला भी कहा जाता है। इसलिए उन्हें नीले के अश्वार या लीले के अश्वार कहा जाता है। 

श्याम बाबा के एक प्रसिद्ध नाम लखदातार भी है

लोग कहते है की श्याम बाबा लाखो दे देता है इसलिए इन्हें लाखदातर कहते है लेकिन यह सही नहीं है श्याम बाबा को लखदातार इसलिए कहते है की श्याम बाबा के दरबार में जब आप जाते है तो आपको अपने मन की बात कहने से पहले बाबा लख लेता है यानी श्याम बाबा भक्तो के मन की बात समझ कर उसकी मनोकामना पूरी करते है इसलिए इन्हें लखदातार कहते है ।

हारे का सहारा

खाटू में श्याम दरबार की चौखट पर जो एक बार अपना सर रख देता है उसकी समस्त मनोकामना पूरी हो जाती है जो हर तरफ से निराश हो जाता है हार जाता है जिसका कोई सहारा नहीं होता है बाबा श्याम उसका भी सहारा बन जाते है और इसीलिए खाटू श्याम बाबा को हारे के सहारे के नाम से जाना जाता है ।

श्याम बाबा के एक नाम खाटू नरेश भी है

कलयुग में राजस्थान की खाटू नगरी में श्याम बाबा का शीश प्रकट हुआ था जिसकी कहानी आप हमारे चैनल पर देख सकते है तो खाटू नगरी में श्याम बाबा का शीश प्रकट हुआ था और श्याम बाबा कलयुग में खाटू के शासक माने जाते है इसलिए भक्त प्रेम से उन्हें खाटू नरेश भी कहते है। 

मोरछड़ी धारक

श्याम बाबा को चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिए श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तु मोरपंखी, बांसुरी भी उनको प्रिय है। मोरछड़ी रखने के कारण उन्हें मोरछड़ी धारक कहा जाता है । 

Narendra Agarwal 

खाटू श्याम जी के ग्यारह चमत्कारी नामों का विडियो देखे

 

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