पितृ दोष (Pitru Dosh) क्या है? कारण, लक्षण और उपाय

पितृ दोष (Pitru Dosh) क्या है? कारण, लक्षण और उपाय

पितृ दोष (Pitru Dosh) क्या है? कारण, लक्षण और उपाय

पितृ दोष (Pitru Dosh) ज्योतिष में एक विशेष प्रकार का कुंडली दोष माना जाता है। जब व्यक्ति की कुंडली में राहु, केतु और सूर्य जैसे ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या जब पितरों की आत्मा असंतुष्ट रहती है, तो यह दोष उत्पन्न होता है। मान्यता है कि पितरों के अधूरे कार्य या श्राद्ध कर्म के अभाव में यह दोष वंशजों को प्रभावित करता है।


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पितृ दोष के कारण

  • पूर्वजों की अधूरी इच्छाएँ पूरी न होना।
  • श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान न करना।
  • अकाल मृत्यु या असामान्य मृत्यु वाले पितरों की आत्मा का असंतोष।
  • कुंडली में राहु-केतु का अशुभ प्रभाव।
  • पूर्व जन्म के गलत कर्म।

पितृ दोष के लक्षण

  • विवाह में देरी और वैवाहिक जीवन में तनाव।
  • संतान प्राप्ति में बाधा।
  • लगातार आर्थिक समस्याएँ।
  • घर-परिवार में झगड़े और अशांति।
  • लंबी बीमारी या अचानक स्वास्थ्य समस्याएँ।
  • करियर और नौकरी में असफलता।

पितृ दोष के उपाय

  1. श्राद्ध और तर्पण करें – अमावस्या और पितृ पक्ष में।
  2. पिंडदान – गया, हरिद्वार या अन्य तीर्थों पर।
  3. पीपल पूजन – शनिवार या अमावस्या को पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें।
  4. भगवान शिव और विष्णु की पूजा – महामृत्युंजय मंत्र और विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
  5. पितरों का स्मरण – रोज़ जल अर्पित करें और आशीर्वाद लें।
  6. दान-पुण्य – जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करें।

निष्कर्ष

पितृ दोष केवल ज्योतिषीय दोष नहीं बल्कि पूर्वजों के प्रति कर्तव्य का संकेत भी है। जब हम पितरों की आत्मा को शांति देते हैं तो उनका आशीर्वाद हमें जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष पर आधारित है। इसे आस्था और परंपरा के नजरिये से समझें।

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